कवि हो तो
कवि हो तो पहुँचो वहाँ,जहाँ न पहुँचे न्याय।
आगे-पीछे देख लो,तभी बनाओ राय॥
तभी बनाओ राय, समय के तुम हो प्रहरी।
छाप तुम्हारी इतिहासों पर पड़ती गहरी ॥
तम समूह को काटो बनकर सहस्रांशु रवि
बनो नकलची बंदर मत,तुम बनो महाकवि॥
■ बुद्धिनाथ मिश्र
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