Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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फ़रेबी आदमी होता किसी का प्यारा नहीं

 
फ़रेबी आदमी होता किसी का प्यारा नहीं
आप ही नज़रों से गिरे हैं मैंने उतारा नहीं। 

जो आँखों को पसंद न हो वो मन को कैसे  
पसंद आ जायेगा ऐसा  कोई नज़ारा नहीं। 

यूज होना मुझे अच्छा लगता है लेकिन
मिसयूज होना मुझे हरगिज़ गवारा नहीं।

चालाकियाँ दिखाइये लेकिन होशियारी से
मौक़ापरस्तों का मेरे पास में गुजारा नहीं।

सामने कह देते हैं जो भी कहना चाहते हैं
पीछे से कहना सुनना मिज़ाज हमारा नहीं।

रोकर एकबार ही इस्तेमाल कर सकते हो  
बाद उसके चौखट चढ़ पाओगे दुबारा नहीं।

याद रखना हर आदमी दिमाग़ रखता है 
सभी बैकअप रखते हैं कोई बेचारा नहीं।

"दीपक" से रोशनी लीजिये ऐतराज नहीं
मगर कोई बीड़ी सुलगा ले ये गवारा नहीं।

@Deepak Sharma  

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