नया दिवस है नया सवेरा नया महीना नूतन वर्ष
स्वागत है आशायें हैं दशों दिशाओं बिखरेगा हर्ष।
विक्रम सम्वत से आरम्भ होता है निज बरस मगर
विश्व व्यापार चले जिससे वो भी हो शुभ नव वर्ष।
भूख़ ग़रीबी मिटे धरा से शिव शंकर ऐसा वर दो
ज़िहादी समूल नष्ट हों दूर हो कष्ट ,संकट, संघर्ष।
भारत बढ़े जगत पटल पर राष्ट्र पताका लहराये
अन्न-औषधि ज्ञान-दान दे रहे वसुंधरा का आदर्श।
जन मन की अभिलाषा है प्रगति करें सब दिन रैन
इसका हो या उसका हो नववर्ष करे जीवन उत्कर्ष।
राम जनवरी में भी तुम हो चैत्र मास भी तुम्हारा है
बारह महीने"दीपक" राम के कुल जमा है निष्कर्ष।
@ दीपक शर्मा
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