चलो जान बची (संस्मरण)
“अरी ओ माई…
मुड़कर देखा तो सामने से ट्रक ड्राइवर जग्गी मेरे पास से गुजरते हुए बड़बड़ाता हुआ अपनी ट्रक की तरफ़ जा रहा था
“क्या बात है? “
मैंने अपनाइयत से उसकी ओर देखते हुए कहा.
“ अरे माई आप पार्किंग लॉट में यूँ टहल रही है जैसे यह रास्ता न हो, कोई बगीचा हो. आप आती जाती गाड़ियाँ को भी नहीं देख रही हैं. मेरी गाड़ी में ब्रेक नहीं है, अगर कुछ ऊँच नीच हो गई तो…. मैं तो बेवजह मारा जाऊँगा. “
“चलो मैं तुम्हें इस इल्ज़ाम से बचाने के लिए एक तरफ़ हो जाती हूँ . मैं भी बच गई, तुम भी बच गये. अब खुश.”
वह मेरा मुँह ताकते हुए मुस्कराया और मेरे पास से होते हुए अपनी गाड़ी की सीट पर सीटी बजाते हुए जा बैठा.
मैं भी मुस्कराहट लबों की लकीरों में दबाए हुए, उसके रास्ते से हट गई.
देवी नागरानी
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