देवी नागरानी जी के आशयार पर तज़ामीन- श्री आर॰ पी॰ शर्मा
1॰
सोचिए, क्या मैं इनका करूँ
कैसे इन पर भरोसा करूँ
क्या उजालों को तरसा करूँ
“ जुगनुओं का भला क्या करूँ
मेरी मंज़िलें तो है कहकशां “
2
माँ से बढ़कर नहीं कहीं कोई
माँ है सबके लिए ही इक जैसी
प्यार में है वो इक मिसाल अपनी
” ममता बच्चों में बंट गई मेरी
ये भी बंटवारा लाजवाब हुआ “
3
धूप में छाँव-सा मुझे भाया
उससे शीतल हुई मेरी काया
उसकी माया ने मुझको भरमाया
“ दूर क्यों मुझसे है मेरा साया
मुझको उसकी बड़ी ज़रूरत है “
4
रह गया बन कर तमाशा
दिल नहीं कोई पसीजा
हो रहा है ख़ून सच का
“क़त्ल-साज़िश का नतीजा
कह रहे हैं हादिसा है ”
5
चेहरा तेरा ख़याल में आया जो एक पल
खिल सा गया है झील में जैसे कोई कंवल
माज़ी मेरा ये खूब-सा मुझको गया है छल
“ आई जो ते याद तो छेड़ी कोई ग़ज़ल
रो-रो के गीत हमने तो गाये नहीं कभी “
6
सच्चे वो हुस्नो-इश्क़ के किस्से बदल गए
मा’नी मुहब्बतों के ही सारे बदल गए
नाज़ों-नियाज़ के वो सलीके बदल गए
“चाहत, खूलूस, प्यार के रिश्ते बदल गए
जज़्बात में न आज वो गहराइयाँ रहीं “
7 हुआ क्या है इससे हैं अनजान सड़कें
लगा पाईं कोई न अनुमान सड़कें
यही सोच कर हैं परेशान सड़कें
“हुईं शहर की सारी वीरान सड़कें
करम दहशतों का, बड़ी महरबानी”
8
तेरी ग़ज़लों से तुझ को पहचाना
लुत्फ़ उनका उठाया मनमाना
क्यों न कोई हो उनका दीवाना
“ तुझको पढ़ते रहे तभी जाना
‘देवी’ दिलकश ज़बान है तेरी “
9
हिफाज़त में अपने वतन की लगे जो
ये तन-मन, ये धन अपना उन पर लुटा दो
उन्हें अपनों से भी कहीं बढ़के समझो
“हमारे ही परिवार के हैं सभी वो
लुटाते जो सरहद पे अपनी जवानी “
10
रीत क्या, मीत क्या, पीर क्या, प्रीत क्या ?
मेघ-मल्हार क्या और संगीत क्या ?
प्यार में हार क्या, प्यार में जीत क्या ?
“ फिक्र क्या, बहर क्या, क्या ग़ज़ल-गीत क्या
मैं तो शब्दों के मोती पिरोती रही “
11
बनाया है बतंगड़ बात का, बेबात को खींचा
लड़ा आपस में बँटवारे को लेकर बाप से बेटा
दिखाया एक भाई ने ही अपने भाई को नीचा
“ बढ़े ही प्यार से बोया, बढ़े ही प्यार से सींचा
अचानक फूल-सा रिश्ता बिखर कर टूट जाता है “
12
आके फिर भी सताया मुझे
जाने क्या-क्या सुनाया मुझे
ख़ूब उसने रुलाया मुझे
“ वो मनाने तो आया मुझे
रूठ कर खुद गया है मगर”
13
फिर कहाँ मुश्किलों से डरते हैं
हर मुसीबत को पार करते हैं
होके बेखौफ़ आगे बढ़ते हैं
अंधियों के भी पर कतरते हैं
हौसले जब उड़ान भरते हैं
तज़मीनकार: श्री आर॰ पी॰ शर्मा ‘महर्षि’, 402, श्री रमनिवास टाटा निवासी सोसाइटी, पेस्टन सागर रोड, न॰ 3, माहौल-घटकोपर रोड, चेम्बूर, मुम्बई-400039
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