Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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घर-घर में

 

हाइकू
METER 5-7-5

देवी नागरानी
1
घर-घर में
वेद व्यास रचता
महाभारत
2
हम पांडव
कौरव भी हम ही
सारथी मन
3
सोच प्रधान
रामायण रचे या
महाभारत
4
मन में खोट
विचार कर्म भ्रष्ट
मैं अमानुष
5
भाग्य-विधाता
भाग्य रेखाएं खींचे
जैसे बालक
6
शब्द जाल ने
रचा महाभारत
का इतिहास
7
क्यों लगता है
रिश्तों का मैदान भी
रण-भूमि सा ?
8
दारू व दोस्ती
जितनी हो पुरानी
उतनी मस्ती
9
ना पहचाने
पाप-पुण्य-दौलत
मजबूरी को
10
शब्द जाल ने
रचा महाभारत
का इतिहास
11
वही है घर
‘दिल’ जिसका होगा
रौशनदान
12
आज ज़रूरत
रोटी, कपड़ा, मकान
13
नया अध्याय
ज़िंदगी की किताब
रोज़ पढ़ाती
14
कर्म पे रहे
महानता निर्भर
उम्र पे नहीं

15
प्यार के बीज
नफ़रत की फ़स्ल
नाबूद करे
16
थके क़दम
आशियाँ ऐ ज़िंदगी
कौन से गाम ?

17

बहार में भी
तुझे मौत ढूंढती
बनके खिजाँ
18
भर-भर के
काँटों के प्यालों से पी
है खुशी मैंने

19
छनक उठी
बैरन पैजनियाँ
पी को पुकार
20
कभी न सूनी
माँग हो, न गोद हो
न ही जंग हो
21
बेटी गाय है
अगरचे सच है
भ्रूण हत्या क्यों?

22
सहरा में क्यो
जीवन टटोलता
ये नागफ़नी?
23
नाश- विनाश
का एक ही कारण
वही अणु है
24
माँ की दुआ में
खुदा की रहमतें
शामिल हुईं

25
नारों का देश
जनता में एकता
फूट घरों में
26
बेनाम रिश्ते
करते बदनाम
रिश्तों के नाम
27
मर्ज़ी के बिना
आज़ादी लगती है
शाही गुलामी

28
वो जीत गया
जिसने जग में है
मन को जीता
29
वक़्त के साथ
उम्र भर पढ़ना
जीस्त का बाब
30
ख़्वाब मेरे
ख्वाहिश की कैद में
घुट रहे हैं


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