Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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होली का रँग

 

होली का रँग



नई सुबह

तू कौन रँग लाई

देने बधाई?


होली आई रे

उपहार रँगों का

सँग है लाई


होली का रँग

जीवन में भर दे

जीने का ढँग


प्यार अनोखा

जीवन में भर दे

होली का रँग


भरे उमँग 

रँगों की चाहत

जीवन सँग



चाय गरम

हंस हंस के तूने

क्यों पिलाई?


क्या मिलाई

भाँग पकोडी में जो

तूने खिलाई


लड्डू तिल के, 

चाट, जलेबी खाओ 

समोसे भाई


रँग न देखे

होली का त्यौहार

देखे न ढँग 



नदी किनारे 

रास रचाये कान्हाँ

बजे म्रदँग



मटकी फूटी

छलका रँग नशा

रँगे बेरँग



श्रँगार हुआ

जुडे विशेषण जो 

रँग के सँग


देवी नागरानी



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