Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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कुरबान जाँ की जिसने

 

कुरबान जाँ की जिसने वो भाई था हमारा

रौशन करेगा राहें अब वो ही भाई चारा


ये नींव है हमारी, पहचान मामता की

भाषा बिना कहाँ है किस देश का भी चारा

संदेश ग्यान का ये, नन्हें सिपाही देंगे

इतिहास इन के बल से होगा बयाँ हमारा


मेरे जिस्मो-जाँ के ग़म से कोई तो आशना हो

मरहम लगा के भर दे, ज़ख़्मे-निहाँ हमारा


आती रहे वतन से परवरदिगाँ की खुशबू

वो गुलफ़िशाँ है देवी, वही बाग़बाँ हमारा



गुलज़ार हो गई हैं चारों तरफ़ फ़िज़ाएं

भाषाई फूलों से है महका जहाँ हमारा


बीता हुआ हूँ कल मैं, मेरा आज सामने है

जो गर्व से है कहता हिंदोस्ताँ हमारा


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