थरथराती ठण्ड
१
थम गया था
प्रयास मेरा, पर
जम न पाया
२
कँपकँपाती
ठुठुरती ठँड की
खिडकी बँद
३
हाथ पत्थर
होंट थरराये से
काँपती चाय
४
ढाँपे है तन
मफलर, मोजे यूँ
मन का क्या?
५
कँबल काला
धूप के आडे, कुछ
दाल में काला
६
थमी यूँ रात
बोल पडी खामोशी
अँधेरे में ज्यूँ
७
थम गई क्यों ?
चाल मेरी ऐ ठँड !!
तू भी तो थम
८
क्यों लड रहे
दाँत मेरे आज यूँ
आपस में अब
९
ऋतू शीत ये
है जानी पहचानी
काँप न प्राणी
१०
बर्फ ओढ के
सीना तान शिखा भी
मौन खडी है
११
थम न जाओ
कँपकँपाते कदम
बढते जाओ
१२
हौसला रखो
पिघला देगी बर्फ
आन की आँच
१३
मारेगी वो क्या
खुद काँप रही है
ठँड तुझसे?
१४
कँबल ओढ
खुद को बचालो
ठँड का क्या?
१५
दूध में धुली
सफेद चुनरिया
ओढे धरती
१६
नर्म बर्फ की
मखमली चादर
अँबर नीचे
देवी नागरानी
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