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बैंगन होते खास

 


बैंगन होते खास" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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मतलब के संसार में, बैंगन होते खास।
खुशनसीब वे लोग हैं, बैंगन जिनके पास।।
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होते हैं वो ही सफल, जो होते हैं धूर्त।
केवल झूठ-फरेब से, सपने करते मूर्त।।
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जोड़-तोड़ के खेल में, जो होते अनुरूप।
राजनीति के समर में, निखरा उनका “रूप”।।
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शासक का मन मोहते, ऐसे ही चितचोर।
चापलूस बैंगन उन्हें, करते भाव विभोर।।
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जो कल तक कंगाल थे, आज हुए धनवान।
भाषण के बल पर वही, मार रहे मैदान।।
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घोटाले के नाम पर, बनते हैं आयोग।
सिद्ध नहीं होंगे कभी, बैंगन के अभियोग।।
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ढुल-मुल लोगों की कभी, करना मत तारीफ।
थाली के बैंगन नहीं, होंगे कभी शरीफ।।
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