Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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दोहा छन्द

 
दोहा छन्द में चार चरण होते हैं। जिसमें विषम चरणों में 13 तथा सम चरणों में 11 मात्राएँ होती हैं। विषम चरणों के अन्त में जगण  का प्रयोग वर्जित माना जाता है तथा सम चरणों के अन्त में गुरु-लघु  का प्रयोग होना चाहिए।
उदाहरण-
अपने भारत में रहें, सारे लोग निरोग।
हर हालत में कीजिए, शासन का सहयोग।।
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काव्य में रुचि रखने वालों के लिए और विशेषतया कवियों के लिए तो गणों की जानकारी होना बहुत जरूरी है ।
गण आठ माने जाते हैं!
१ - य - यगण
२ - मा - मगण
३ - ता - तगण
४ - रा - रगण
५ - ज - जगण
६ - भा - भगण
७ - न - नगण
८ - स - सगण - सलगा
इसके लिए मैं एक सूत्र को लिख रहा हूँ-
"यमाताराजभानसलगा"
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य - यगण
यमाता
I S S
लघु - गुरू - गुरू
उदाहरण- लगाना, दिखाना आदि.।
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मा - मगण
मातारा
S S S
गुरू - गुरू - गुरू
उदाहरण- दोराहा, सालाना आदि.।
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ता - तगण
ताराज
S S I
उदाहरण- सामान, दूकान आदि.।
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गुरू - गुरू - लघु
रा - रगण
राजभा
S I S
उदाहरण- पालना, थामना आदि.।
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गुरू - लघु - गुरू
ज - जगण
जभान
I S I
उदाहरण- मचान, लगान आदि.।
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लघु - गुरू - लघु
भा - भगण
भानस
S I I
उदाहरण- सादर, भाषण आदि.।
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गुरू - लघु - लघु
न - नगण
नसल
I I I
उदाहरण- गमन, वचन आदि.।
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लघु - लघु - लघु
स - सगण
सलगा
I I S
लघु - लघु - गुरू
उदाहरण- बचना, सपना आदि.।
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कहिए मित्रों!
सरल है ना गणों को याद रखना!
आपको केवल निम्न सूत्र को कण्ठस्थ करना है!
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यमाताराजभानसलगा


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