Roop Shastri
दोहे "दोहा छोटा छन्द" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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दोहा छोटा छन्द है, करता भारी मार।
सीधे-सादे शब्द ही, करते सीधा वार।।
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चार चरण दो पंक्तियाँ, दोहे का संधान।
तुलसी और कबीर ने, सबको बाँटा ज्ञान।।
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बिना भूमिका के कहो, अपने मन की बात।
दोहों में ही निहित है, जीवन की सौगात।।
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सन्तों के दोहे करें, मन के दूर विकार।
सरल-तरल इस छन्द में, मिलते स्वच्छ विचार।।
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अन्तर्मन के खोल दो, अब तो द्वार कपाट।
मन-मन्दिर में देख लो, दिव्य स्वरूप विराट।।
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पल-पल में है बदलता, आसमान का रूप।
बादल छँटने पर खिले, वसुन्धरा पर धूप।।
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