भोले-भाले लोग हैं, सीधा विमल वितान।
गाँवों में ही तो बसा, अपना हिन्दुस्तान।१।
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अनपढ़ कोई भी न हो, बदलो अब परिवेश।
पढ़-लिख करके साथियों, करो साक्षर देश।२।
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निर्धन-श्रमिक-किसान को, शिक्षा का दो दान।
अलख जगाओ ज्ञान की, गाँवों में श्रीमान।३।
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लुटे नहीं अब देश में, माँ-बहनों की लाज।
बेटी को शिक्षित करो, उन्नत करो समाज।४।
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जिस घर में बेटी रहे, समझो वो हरिधाम।
दोनों कुल का बेटियाँ, करतीं ऊँचा नाम।५।
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नारी नर की खान है, जग की सिरजनहार।
क्यों पुत्रों की चाह में, रहे पुत्रियाँ मार।६।
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कुलदीपक की खान को, देते हो क्यों दंश।
अगर न होंगी नारियाँ, नहीं चलेगा वंश।७।
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माता शिक्षित है अगर, देगी सुत को ज्ञान।
सभ्य-सुघड़ सन्तान से, होगा देश महान।८।
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