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"खतरे में तटबन्ध हो गये हैं"

 

शुक्रवार, 24 सितंबर 2021गीत "खतरे में तटबन्ध हो गये हैं" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
मतलब पड़ा तो सारे, अनुबन्ध हो गये हैं।
नागों के नेवलों से, सम्बन्ध हो गये हैं।।

बादल ने सूर्य को जब, चारों तरफ से घेरा,
महलों में दिन-दहाड़े, होने लगा अँधेरा,
फिर से घिसे-पिटे तब, गठबन्ध हो गये हैं।
नागों के नेवलों से, सम्बन्ध हो गये हैं।।

सब राज-काज देखा, भोगे विलास-वैभव,
दम तोड़ने लगा जब, तत्सम के साथ तद्भव,
महके हुए सुमन तब, निर्गन्ध हो गये हैं।
नागों के नेवलों से, सम्बन्ध हो गये हैं।।

विश्वासपात्र संगी, सँग छोड़ने लगे जब,
सब ठाठ-बाट उनके, दम तोड़ने लगे तब,
आखेट के अनेकों, प्रतिबन्ध हो गये हैं।
नागों के नेवलों से, सम्बन्ध हो गये है।।

अपनों ने की दग़ा जब, गैरों ने की वफा हैं,
जिनको खिलाये मोदक, वो हो गये खफा हैं,
घर-घर में आज पैदा, दशकन्ध हो गये हैं।
नागों के नेवलों से, सम्बन्ध हो गये हैं।।

जब पाटने चले थे, नफरत की गहरी खाई,
लेकर कुदाल अपने, करने लगे खुदाई,
खतरे में आज सारे, तटबन्ध हो गये हैं।
नागों के नेवलों से, सम्बन्ध हो गये हैं ।।
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