आँसू
खुशी गम बेबसी का, अहसास करा देता हूं,
आंख से निकला तो, जज़्बात बता देता हूं।
खुशी में झिलमिलाता, दुःख बेबसी में बहता,
हर अवसर उपस्थिति का अहसास करा देता हूं।
ससुराल जायें बेटियां, या मैके की चौखट आती,
मां की आंखों से चाहत बन, जार जार रो देता हूं।
बेवफ़ाई हो किसी की, अथवा इन्तजार की घड़ियां,
तडफ देखी नहीं जाती, मैं आंखों को भिगो देता हूं।
अश्क बन कर आंख में, नम होकर कभी ठहरा,
कभी दरिया सा बन बहता, रोके से नहीं ठहरा।
मृत्यु पर भी बह जाता, जन्म पर भी नजर आता,
जाति- धर्म, नर- मादा, न राष्ट्र सीमाओं पर ठहरा।
अ कीर्ति वर्द्धन
खुशी गम बेबसी का, अहसास करा देता हूं,
आंख से निकला तो, जज़्बात बता देता हूं।
खुशी में झिलमिलाता, दुःख बेबसी में बहता,
हर अवसर उपस्थिति का अहसास करा देता हूं।
ससुराल जायें बेटियां, या मैके की चौखट आती,
मां की आंखों से चाहत बन, जार जार रो देता हूं।
बेवफ़ाई हो किसी की, अथवा इन्तजार की घड़ियां,
तडफ देखी नहीं जाती, मैं आंखों को भिगो देता हूं।
अश्क बन कर आंख में, नम होकर कभी ठहरा,
कभी दरिया सा बन बहता, रोके से नहीं ठहरा।
मृत्यु पर भी बह जाता, जन्म पर भी नजर आता,
जाति- धर्म, नर- मादा, न राष्ट्र सीमाओं पर ठहरा।
अ कीर्ति वर्द्धन
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