Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
Administrator

अहंकार

 
अहंकार का बोझ जब, सिर पर चढने लगा,
आदमी को आदमी तब, कीडे सा लगने लगा|
ढोने लगा वह बोझ अपना, अपने कांधो पर यहाँ,
आदमी से आदमियत का, अहसास भी घटने लगा|

अ कीर्ति वर्धन

Powered by Froala Editor

LEAVE A REPLY
हर उत्सव के अवसर पर उपयुक्त रचनाएँ