Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
Administrator

गौरवशाली भारत

 
गौरवशाली भारत

इतिहास के पन्नों से, वह इतिहास ग़ायब कर दिया,
जिससे गौरवान्वित था भारत, काल ग़ायब कर दिया।
इन्तिहा बेशर्मी की, किस कदर इनकी रही,
सिकन्दर को महान बता, पोरस को ग़ायब कर दिया।

विश्व के सारे अजूबे, आज भी भारत में हैं,
हैं अनुठी कलाकृतियाँ, मन्दिर भारत में हैं।
है नहीं सानी, दुनिया में जिनका आज भी,
राणा के भाले तलवारें, आज भी भारत में हैं।

थे सभी साक्षर यहाँ, इतिहास पढकर देखिए,
गाँव गाँव में गुरूकुल, शिक्षा का स्तर देखिए।
ज्ञान और विज्ञान की, थी पराकाष्ठा भारत में,
अणु परमाणु के रहस्य, उस काल में देखिए।

सभ्यता अज्ञात जग में, तब भी भारत सभ्य था,
शल्य क्रिया या चिकित्सा, भारत सबसे अग्य था।
पाताल से सप्त लोक तक, रहस्यों को जानता,
आना-जाना भी सुलभ, ऋषि नारद सर्वज्ञ था।

विश्व कहता चार दिशायें, हम दस दिशा को जानते,
शून्य का विस्तार कितना, हम रहस्य को पहचानते।
आत्मा के गूढ़ रहस्य, अध्यात्म का विस्तार भारत,
अहम् ब्रह्म अस्मि का सार, जन जन के भीतर मानते।

अ कीर्ति वर्द्धन

Powered by Froala Editor

LEAVE A REPLY
हर उत्सव के अवसर पर उपयुक्त रचनाएँ