जानता हूँ इस जहां से सबको जाना है,
किसी का नही यहाँ स्थायी ठिकाना है।
फिर भी कोशिशें मेरी यहीं रह जाने की,
जिसके लिये कर्मों को आधार बनाना है।
मानवता अमरता के लिए मूल मंत्र है,
संस्कारों का पालन ही ताना-बाना है।
संस्कृति सभ्यता का संरक्षण संवर्धन,
गीता का सार धर्म पताका फहराना है।
धर्म का मतलब, सत्य का उद्घोष हो,
सत्य का आधार, न्याय का उद्घोष हो।
कोई न अपना पराया, माटी के पुतले,
अहम् ब्रह्म अस्मि, सार का उद्घोष हो।
अ कीर्तिवर्धन
Powered by Froala Editor
LEAVE A REPLY