Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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है सनातन कितना व्यापक, जान लो,

 
है सनातन कितना व्यापक, जान लो,
गूढ़ रहस्य सृष्टि के छिपे, पहचान लो।
चाहते हो जानना, जीवन मृत्यु रहस्य,
ज्ञान विज्ञान का सच मिलेगा, मान लो।

विज्ञान कहता चार दिशाएँ, हम दस मानते,
पाताल से ब्रह्मांड तक, सब रहस्य जानते।
लोक से परलोक की, यात्रा मुनि करते रहे,
काल की गणनाओं का, काल भी पहचानते।

आत्मा अजर अमर, सनातन की यह धारणा,
कर्म का फल मिलेगा, धर्म की अवधारणा।
शरीर वस्त्र आत्मा का, जीर्ण शीर्ण बदल दिए,
पाप पुण्य- फल से निर्लिप्त, है यही साधना।

पंच तत्व से शरीर बना, पंच तत्व मिल जायेगा,
भू गगन वायु अग्नि नीर, भगवान बन जायेगा।
पाँच इन्द्रियों का सच, सनातन की ही खोज है,
इन्द्रियों पर नियंत्रण, मानव ऋषि बन जायेगा।

डॉ अनन्त कीर्ति वर्द्धन

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