Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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हमने भी तो खत्म दौर की

 
हमने भी तो खत्म दौर की, बात कही है,
रिश्तों में अपनापन भरता, बात कही है।
कुछ चिट्ठी रखी संजो कर, अब भी पढ़ते,
प्यार भरे उन अहसासों की, बात कही है।

नाना को चिट्ठी लिखना, याद अभी तक,
बुआ को संदेश भेजना, याद अभी तक।
गाय वाले मामी मामा, चक्की वाली मौसी,
चिट्ठी में सबको लिखते थे, याद अभी तक ।

मई जून की छुट्टी होती, गाँव में जाते,
बच्चों के संग खेत में जाकर धूम मचाते।
शाम ढले दादी को चिट्ठी में सब लिखते,
माँ काँ सबको याद लिखाना, याद अभी तक।

अ कीर्ति वर्द्धन

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