नही जानती लिखना पढ़ना, पर चिट्ठी सभी सहेजी हैं,
माँ ने लिखी अपनी माँ को, हमने नानी को लिखी हैं।
क्या लिखा था माँ ने नानी को, माँ को कुछ भी याद नहीं,
नानी को सब याद बात वह, जो माँ ने नानी को लिखी हैं।
नहीं जानती वह बाँचना, पर याद उसे सब कुछ रहता,
धर्म कर्म अध्यात्म की बातें, रामायण में जो लिखी हैं।
नहीं गई वह विद्यालय, नहीं अक्षर ज्ञान कभी पाया,
संस्कार संस्कृति सभ्यता, सब बातें मन पर लिखी हैं।
अ कीर्ति वर्द्धन
53 महालक्ष्मी एनक्लेव मुज़फ़्फ़रनगर
उ प्र
8265821800
Powered by Froala Editor
LEAVE A REPLY