Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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हरि बोल

 
हरि बोल

सार जगत का जिस पल मानव समझ सकेगा,
माया- ममता- मोह जाल से, निकल सकेगा।
भौतिक सुविधाओं को सार, जगत को मान रहे,
अध्यात्म का सार समझ, स्वयं को जान सकेगा।

अ कीर्ति वर्द्धन

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