जयहिंदवीरों की गाथा कौन सुनाए, सबके अपने दर्द बड़े हैं,
स्वार्थों की कुर्सी की चाहत, हर किस्से के अर्थ बड़े हैं।
आगे बढ़ने की चाहत में, कुछ अपनो के पैर खिंचते,
कुछ मेहनतकश यूं ही रहते, कुछ शीर्ष पर व्यर्थ पडे हैं।
अ कीर्ति वर्द्धन
कर्नल नरेन्द्र कुमार शर्मा "बुल"
हिम ग्लेशियरों का सरताज
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