Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
Administrator

जीवन क्या और मौत क्या

 
जीवन क्या और मौत क्या है, कहाँ है धाम इनका,
मरुधरा से हिमशिखर तक, कहाँ है मुक़ाम  इनका?
भटक रहें हैं ज्ञानी ध्यानी, इस सत्य की तलाश में,
कैसे मिले- क़िससे मिले, रहस्य का समाधान इनका?

आत्मा अजर अमर, फिर दिखती क्यों नहीं,
मृत्यु को सत्य बताते, बात करती क्यों नहीं?
मर कर पड़ा जो सामने, वह तो मात्र देह है,
जो जन्म लेता जीव है, आत्मा नज़र आती नहीं।

जो सत्य है दिखता नहीं, भ्रम में सब जी रहे,
मोह माया जाल मे, उलझ कर सब जी रहे।
मैं- मेरा और अपना, स्वार्थ के रिश्तों में लिप्त,
भौतिक सुखों को सुख मान, दर्द में सब जी रहे।

अ कीर्ति वर्द्धन

Powered by Froala Editor

LEAVE A REPLY
हर उत्सव के अवसर पर उपयुक्त रचनाएँ