काश इस ईद पर कुछ ऐसा कर पाते,
निर्दोष पशुओं को मरने से बचा पाते।
जानवर भी देते दुवायें बकरीद पर हमें,
हम अपना कोई ऐब कुर्बान कर पाते।
न होती दीद किसी खास की भले ही,
दुवाओं में किसी खास की खास बन पाते।
बेजुबां है मगर वो भी अहसास रखते हैं,
उसकी आंख में दर्द का दीदार कर पाते।
होती जब आमद खुदा के दर पर हमारी,
गुनाहों में कमी की फरियाद कर पाते।
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