कौन कहता है दुख का दरिया ज़िन्दगी,
हमने देखा ख़ुशियों की सौग़ात ज़िन्दगी।
पीत पत्र टूटकर गिरते धरा पर डाल से,
नव सृजन की आस तब देती है ज़िन्दगी।
नकारात्मक सोच ले कुछ निराशा से भरे,
तम में भी आस, विश्वास देती ज़िन्दगी।
पुष्प कहता मुस्कुराओ, खार के बीच भी,
खार भी अपने लगें कह रही है ज़िन्दगी।
माना कि उलझनें होती जीवन में बहुत,
उलझनों से पार पाना सिखाती है ज़िन्दगी।
होता कुछ बहुत बुरा ऐसा सबको लगे,
हरपल नया रंग दिखाती है ज़िन्दगी।
अ कीर्ति वर्द्धन
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