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Dr. Srimati Tara Singh
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खामोशियां

 
खामोशियां

ख़ामोश लबों को संवाद कौन देता है,
झुके नयन को आभास कौन देता है?
मौन ही है शान्त मन की अभिव्यक्ति,
मौन ही भावनाओं को विस्तार देता है।

खामोशियों के शोर में जी कर देखना,
खामोशियों को विस्तार देकर देखना।
खामोशियों के दौर में बोलती धड़कने,
खामोशियों से खुद संवाद कर देखना।

खामोशियां जीवन का संगीत हैं,
खामोशियां अन्तर्मन से प्रीत हैं।
स्वयं को जानने की चाह का मार्ग,
खामोशियां अध्यात्म का गीत हैं।

अ कीर्ति वर्द्धन
53 महालक्ष्मी एनक्लेव मुज़फ़्फ़रनगर उ प्र
8265821800

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