खुद को राम बनाकर देखो, हर संकट मिट जायेगा,
जिस दिन खुद को पहचानोगे, राम भी मिल जायेगा॥
कभी सोचना कान्हा बनकर, युद्ध क्षेत्र में सब अपने,
धर्म विरूद्ध जो काम करे, वह धरा से मिट जायेगा।
खोने को क्या पास बचा है, पाने को सारा जग है,
छोटी सी उपलब्धि पाकर, रोम रोम खिल जायेगा।
मान और अपमान छोड़, स्वाभिमान को पहचानो,
जीवन जीने का मक़सद, खुद से खुद को मिल जायेगा।
डॉ अ कीर्ति वर्द्धन
Powered by Froala Editor
LEAVE A REPLY