नये साल में नये संकल्प, हमको लेने ठान लिया,
वृक्ष बचेंगे जीवन होगा, सच भी हमने जान लिया।
विनम्र हमारा अनुरोध है, शासन पर भी अंकुश हो,
वृक्ष मित्र तो लगे खेल में, जनता ने पहचान लिया।
भौतिक सुविधा को, विकास का मतलब हमने मान लिया,
वृक्ष काट कंक्रीट लगाना, विकास का प्रतीक जान लिया।
बढ़ते वाहन करें प्रदूषण, इसकी हमको फिक्र नहीं,
हमनें बढती सुविधाओं को, विकसित भारत जान लिया।
भूल गये संस्कार- वेदों का सार, जीवन का आधार,
प्रकृति का संरक्षण- वृक्षारोपण, वृक्षों की पूजा सार।
आधुनिकता की अन्धी दौड़, भौतिक सुखों की चाह,
भू गगन वायु अग्नि नीर, भुला दिया भगवान आधार।
अ कीर्ति वर्द्धन
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