नेता बनने के गुण
बगुले की तरह भक्ति दर्शाना, रंग बदल गिरगिट बन जाना,
हो चालाकी लोमड़ी जैसी, बस कौओं सी चतुराई दिखलाना।
कुत्तों सी दुम टेढ़ी रखना, और उल्लू जैसी आँख घुमाना,
सीख गये गुर इसमें से कुछ, फिर यारों नेता बन जाना।
खटमल सा तुम खून चूसना, जिसका बिस्तर उसे चूसना,
शेरों सी हो आदत अपनी, जिसका खाना उसे घूरना।
बस बिल्ली सी निष्ठा घर से, कुर्सी से ही प्यार जताना,
कभी भेड़िया बनकर रहना, कुतर कुतर चूहे सा खाना।
दौर चुनावी मौसम का हो, तब नेता बनना अच्छा धन्धा,
उस दौर यह ज़्यादा चलता, माना अब है थोड़ा मन्दा।
सभी गुणों को सीख गये तो, तुष्टिकरण को सीख गये तो,
बेईमान भ्रष्टाचारी को भी, लोग कहें यह अच्छा बन्दा।
सभी पार्टियाँ आँख गड़ाएँ, अपने दल में जुगत लगाएँ,
अगर साथ हों थोड़े गुण्डे, सर्वगुण सम्पन्न कहलाएँ।
पुलिस थाने में करके यारी, ज़्यादा हो या कम मक्कारी,
सबसे खाएँ और खिलाएँ, समाजसेवी नेता बन जाएँ।
माल मुफ़्त का अपना हो, सरकारी पर सपना हो,
भूकम्प बाढ़ निरन्तर आयें, राहत हिस्सा अपना हो।
नगर निगम की ठेकेदारों, रास नही तुमको आयेगी,
बस कुर्सी से प्यार तुम्हें हो, चाहे ऊपर से टपना हो।
अ कीर्ति वर्द्धन
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