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प्रकृति का सानिध्य

 


Sushil Kumar 


Tue, Sep 17, 9:47 AM (21 hours ago)




to Sushil, bcc: me 



प्रकृति का सानिध्य, अगर गीतों में आ जाता है, 

हर शब्द मेरे गीतों का, फूलों सा खिल जाता है। 
तितलियाँ भौंरे परिन्दे, सब मस्त होकर झूमते, 
ऋतु राज बसन्त, जन जन का मन मोह जाता है। 

 अ कीर्तिवर्धन

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