| Tue, Sep 17, 9:47 AM (21 hours ago) |
|
प्रकृति का सानिध्य, अगर गीतों में आ जाता है,
हर शब्द मेरे गीतों का, फूलों सा खिल जाता है।
तितलियाँ भौंरे परिन्दे, सब मस्त होकर झूमते,
ऋतु राज बसन्त, जन जन का मन मोह जाता है।
अ कीर्तिवर्धन
Powered by Froala Editor
LEAVE A REPLY