Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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राम मेरे आराध्य

 

राम मेरे आराध्य, राम मेरी प्रेरणा,
राम ही सर्वस्व हैं, राम मेरी चेतना।
आदर्श का प्रतीक, राम सा चरित्र हो,
राममय जीवन रहे, है यही कामना।
पुत्र हो राम सा, भाई भी बस राम सा,
बेटा बनूं तो राम सा, सफल हो साधना।
हो चरित्र राम सा, मान दुश्मन का करूं,
राम राज्य की यहां, साकार हो कल्पना।
हम जीयें या मरें, काल के वशीभूत हैं,
राम चरणों में मुक्ति, है यही आराधना।

अ कीर्ति वर्द्धन











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