सच को सच कहने से, क्यों डरते हो,
घिरा हुआ तम, उजाले से क्यों डरते हो?
हिन्दू मुस्लिम बात करो ना, सब कहते,
हिन्दू को हिन्दू कहने से, क्यों डरते हो?
राजनीति की बात करो ना, हमसे कहते,
सनातन से भी रखो दूरियाँ, हमसे कहते।
निज धर्म का पालन, सब खुलकर करते,
हिन्दू बने धर्मनिरपेक्ष, तुम हमसे कहते।
जनसंख्या नियंत्रण का पाठ, हमें पढ़ाया,
धर्मनिरपेक्षता का ज्ञान, तुमने हमें कराया।
धर्म कर्म की बातों को, अन्धविश्वास बता,
संस्कार संस्कृति से, हिन्दू को बिसराया।
अर्द्धनग्न घूमती सड़कों पर, आज बेटियाँ,
महफ़िल की शान बन रही, आज बेटियाँ।
वीरांगना कभी लक्ष्मी, दुर्गा चामुण्डा थी,
आधुनिकतावाद की पहचान, आज बेटियाँ।
अ कीर्ति वर्द्धन
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