सेवानिवृत्त कर्मचारियों से जीवित रहने का प्रमाण पत्र, चाहे वह सम्बंधित अधिकारी के सामने ही खड़ा हो, पर मेरी व्यंग्यात्मक रचना
सच्चाई का परिचय पत्र
सूरज! तुम सूरज हो
तुम्हें बताना होगा
अपना परिचय पत्र दिखाना होगा।
जीवित हो या मरे हुए हो
यह भी समझाना होगा
जीवित रहने का साक्ष्य
स्वयं जुटाना होगा।
अंतरिक्ष में लाखों सूरज डोल रहे हैं
वैज्ञानिक नित नये रहस्य खोल रहे हैं।
ऐसा ना हो कुछ रिश्वत न दे पाने पर
तुमको अपना देवत्व गँवाना होगा।
सूरज तुम सूरज हो
तुम्हें बताना होगा।
अनन्त काल से उर्जा के तुम स्रोत बने हो
हनुमान के एक बार तुम भोग बने हो।
सृष्टि का कण कण जिससे आह्लादित
जिसकी गर्मी का मूल्यांकन
कोई नहीं कर सकता हो
उसकी शक्ति को मानव ने ललकारा है
तुम्हारे विरूद्ध दुष्प्रचार अभियान चलाया है
तुम्हारी उष्मा को ही उसका आधार बनाया है।
तुमको अपना प्रचंड रूप दिखाना होगा
अपनी शक्ति का मानव को भान कराना होगा।
सूरज तुम सूरज हो
तुम्हें बताना होगा
सच्चाई का परिचय पत्र दिखाना होगा।
डॉ अ कीर्ति वर्द्धन
(मेरी पुस्तक सच्चाई का परिचय पत्र)
रचना काल १९९९- २०००
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