Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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सरस्वती वंदना

 

वन्दे शारदे

मुझे बुद्धि वर दे

मृदु स्वर दे ।

 

वीणा वादिनी

राग द्वेष हर ले

मुझे वर दे ।

 

करूँ याचना

दया भाव भर दे

मानवता दे ।

 

मधुमय हो

पल-पल जीवन

शान्ति वर दे ।

 

जाति धर्म का

कोई भेद रहे ना

भाव भर दे ।

 

देश प्रेम ही

लक्ष्य हो जीवन का

ऐसा वर दे ।

 

हंस वाहिनी

आया शरण तेरी

पाद रज दे ।

 

हर पल मैं

तेरे ही गुण गाऊं

मुझे स्वर दे ।

 

 

डॉ अ कीर्तिवर्धन

 

 

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