उम्र का यह दौर चौथा, और साथी बढ रहा हूँ,
साथ है जब तक तुम्हारा, मुश्किलों से लड रहा हूँ|
उम्र का यह दौर चौथा, और साथी बढ रहा हूँ,
साथ है जब तक तुम्हारा, मुश्किलों से लड रहा हूँ|
साथ छोडें संगी साथी, या कि बच्चे छोड दें,
आँधियों में दीप जलता, हौसले से अड रहा हूँ|
अ कीर्ति वर्धन
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