Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
Administrator

उम्र का यह दौर

 
उम्र का यह दौर चौथा, और साथी बढ रहा हूँ,
साथ है जब तक तुम्हारा, मुश्किलों से लड रहा हूँ|
उम्र का यह दौर चौथा, और साथी बढ रहा हूँ,
साथ है जब तक तुम्हारा, मुश्किलों से लड रहा हूँ|
साथ छोडें संगी साथी, या कि बच्चे छोड दें,
आँधियों में दीप जलता, हौसले से अड रहा हूँ|

अ कीर्ति वर्धन

Powered by Froala Editor

LEAVE A REPLY
हर उत्सव के अवसर पर उपयुक्त रचनाएँ