Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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किसी की प्रेरणा बन सकूं

 

किसी की प्रेरणा बन सकूं, यह मेरा भाग्य,
किसी के काम आ सकूं, यह मेरा सौभाग्य।
कोशिशें करता रहा हूं, दीप बन जलने की,
तम धरा से मिटा सकूं, यह मेरा अहोभाग्य।

अ कीर्ति वर्द्धन
 

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