Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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महिला चरित्र कोश प्रथम खंड

 

डॉ रजनीश जी तथा डॉ अरुणा जी मुज़फ़्फ़रनगर 

के सौजन्य से अखिल भारतीय चरित्र कोश खंड १ प्राप्त हुआ। भारतीय संस्कृति में महिलाओं का स्थान सदैव सर्वोपरि रहा है।मुग़ल काल तथा बाद में अंग्रेज़ी शासन के दौरान परिस्थितियोंवश समाज के ढाँचे में कुछ परिवर्तन अवश्य हुये जिनके कारण सशक्त भारतीय नारी को उपभोक्ता बना दिया गया। इसका मतलब यह नहीं है कि नारी ने अपनी क्षमताओं का ह्रास कर दिया हो। इसके विपरीत भारतीय नारी ने जब और जहाँ अवसर मिला अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया तथा वैश्विक पटल पर शीर्ष पर अपने आप को स्थापित किया है। मैं भारत की बेटी हूँ, कभी नहीं पीछे रहती हूँ, वेद ऋचाओं में भी देखो, बनी विदुषी रहती हूँ। अंतरिक्ष तक उड़ान मेरी, कल्पना सी पहचान है, साहित्य या राजनीति, सदा शिखर पर रहती हूँ। अखिल भारतीय महिला चरित्र कोश का यह प्रथम खंड है जिसमें वेद पुराण उपनिषद रामायण महाभारत बौद्ध जैन से लेकर ईसा पूर्व की कुछ विदुषी तथा वीरांगना नारीयों के संक्षिप्त परिचय सम्मिलित कर युवा पीढ़ी तथा नवभारत को अपनी पुर्वज महिलाओं की गौरवगाथा से अवगत कराने का प्रयास किया गया है। इस महत्वपूर्ण कार्य को पाठकों के सम्मुख लाने का कार्य संघमित्रा सेवा प्रतिष्ठान सेविका प्रकाशन देवी अहिल्या मंदिर, धंतोली नागपुर महाराष्ट्र द्वारा किया गया। महान एवं विशाल कार्य की प्रकल्प संयोजक डॉ शरद रेणु शर्मा मथुरा, संपादिका सुश्री चित्रा जोशी नागपुर, डॉ विद्या देवघर हैदराबाद, डॉ मेधा ब्रह्मपुत्र हैदराबाद सह संपादिका डॉ रजनी शर्मा जयपुर, डॉ अंजली वर्मा देहरादून हैं। डॉ सुशील ताई महाजन विलेपार्ले मुम्बई जी इस प्रकल्प की प्रायोजक हैं। वर्तमान में प्रथम खंड प्रकाशित होकर हमारे सम्मुख है जिसमें प्राचीन भारत- वेदकाल से ईसा पूर्व तक की नारीयों का वर्णन किया गया है। द्वितीय खंड मध्ययुगीन भारत सन १ से सन १८०० तृतीय खंड अर्वाचीन भारत सन १८०१ से सन १९०० तक चतुर्थ खंड आधुनिक भारत सन १९०१ से सन १९५० तक पंचम खंड स्वाधीन भारत सन १९५१ से सन १९७५ तक षष्ठ खंड स्वाधीन भारत सन १९७६ से सन २००० तक प्रस्तावित हैं। यह पुस्तक प्रत्येक परिवार के लिए अमूल्य धरोहर के रूप में बच्चों के चरित्र निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभायेगी। सभी पुस्तकालयों स्कूल कॉलेज के लिए बहुत महत्वपूर्ण व प्रेरक ग्रंथ है। हमारा अनुरोध है कि आप सब इस पुस्तक को ख़रीदें अपने बच्चों को इसके प्रसंग सुनायें, पढ़ने बढ़ने व आचरण के लिए प्रेरित करें। डॉ अ कीर्ति वर्द्धन विद्यालक्ष्मी निकेतन ५३ महालक्ष्मी एनक्लेव मुज़फ़्फ़रनगर उ प्र भारत ८२६५८२१८०० a.kirtivardhan@gmail.com पुस्तक प्राप्ति के लिए सम्पर्क  डॉ अरुणा जी +91 97561 16683 डॉ रजनीश जी +91 93580 15637 मुज़फ़्फ़रनगर डॉ विद्या देवघर ९४४०३७३७७७ संघमित्रा सेवा प्रतिष्ठान नागपुर ७५८८७४८५९३ लगभग ६०० पृष्ठ बड़ा पत्रिका साईज़ मूल्य मात्र १२००/





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