Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
Administrator

आओ खेलें हम सब होली

 

आओ खेलें हम सब होली, रंग गुलाल डालकर, 

पानी के भी रंग बना लें, उसमें टेसू फूल डालकर। 
कमल खिला है गली गाँव में, घर घर में खुशियाँ, 
बूढे बच्चे सभी मस्त हैं, खुशियों के रंग डालकर।
होली है त्योहार प्रेम का, सभी गले मिल जायेंगे,
भूले बिछुडे- अमीर गरीब, होली साथ मनायेंगे। 
देवर भाभी- जीजा साली, सब ही होली खेल रहे, 
बड़े बुजुर्गों के माथे, रंग लगा कर शीश नवायेंगे। 

डॉ अ कीर्तिवर्धन

Powered by Froala Editor

LEAVE A REPLY
हर उत्सव के अवसर पर उपयुक्त रचनाएँ