Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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है मोहब्बत ज़िन्दगी

 
है मोहब्बत ज़िन्दगी, मौत भी तो है यही,
कोई पाने को मरा, मिल गयी तो मर गया।

इश्क़ कब मुकम्मल हुआ, ज़माने में किसका बता,
जब तलक आधा अधूरा, इश्क़ चर्चा में रहा।

अ कीर्ति वर्द्धन 





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