Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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हो कृपा माँ शारदे

 

लेखनी की नोक पर, हो कृपा माँ शारदे, 

जगत हित लिख सकूँ, हो कृपा माँ शारदे। 
मानवता हो साधना, धर्म हित अवधारणा, 
सद्गुणों का सार लिखूँ, हो कृपा माँ शारदे। 

 वन्दना से प्रारम्भ हो, भक्ति भाव बना रहे, 
शारदे के चरणों में, समर्पण भाव बना रहे। 
है मिला हमको बहुत, और कुछ न चाहिये, 
रहे दया दृष्टि तुम्हारी, अर्पण भाव बना रहे। 

अ कीर्ति वर्द्धन

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