Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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माटी की सौंधी ख़ुशबू भी

 

माटी की सौंधी ख़ुशबू भी, जिनको लगती बू बास ज़रा, 

वो कहते हम लिखेंगे, अब इस धरती का इतिहास ज़रा।
वेद पुराण राम कृष्ण बिसरा, जो मार्क्सवाद की बात करें,
राष्ट्रवाद की नयी परिभाषा, प्रतिपादित करते आज ज़रा।
निकले नहीं घरों से अपने, जब जब विपदा कोई आयी, 
विपदा में अवसर को खोजते, लुटे पिटे कुछ ख़ास ज़रा।
 नकारात्मक सोच है जिनकी, असंतुष्ट रहा सदा आचरण, 
बसन्त में अंकुरण, पीत पत्र गिरना लगता बकवास ज़रा।
जिनकी बुनियाद ही झूठ टिकी, वो सच पर सवाल उठाते, 
नाजी मुसोलिनी के अनुयायी, धर्म पर सवाल आज ज़रा।

 डॉ अ कीर्ति वर्द्धन

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