नयी विकास की लहर चली, सरहद सुरक्षित हुई,
गाँव गली से निकल बेटियाँ, गगन शीर्ष तक छाई।
शिक्षा के द्वार खुले, सुख समृद्धि घर घर में आयी,
केसरिया लहराया शान से, विश्व में पहचान बनायी।
तीन लोक में भारत की, उपलब्धि का डंका बजता,
विश्व गुरू भारत ही है, बात जगत के मन को भायी।
सात लोक- दस दिशाएँ, जग को जिसका भान नहीं,
वेद पुराणों में वर्णित है, ऋषि मुनियों ने बात बतायी।
नासा में भी जाकर के देखो, अर्धनारीश्वर पूजे जाते,
अमेरिका की संसद में भी, वेदों के मंत्र पड़े सुनायी।
मुफ़्त माल का चला प्रचलन, स्वाभिमान भुला बैठे,
बिना काम पा जाये सब, मुफ़्त माल की आस लगायी।
डॉ अ कीर्ति वर्द्धन
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