Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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कुछ नहीं से कुछ हुआ

 

कुछ नहीं से कुछ हुआ, अच्छा हुआ, 

निराशा में आस दीपक, अच्छा हुआ। 
जीत कर फलक तक न जा सके, 
फ़ासला कुछ कम हुआ, अच्छा हुआ। 
जाँच ली सामर्थ्य अपनी, दूसरे की, 
मुक़ाबला कुछ कड़ा रहा, अच्छा हुआ। 
हारा वहीं हार जिसने मान ली समर में, 
गिरकर उठने का हौसला, अच्छा हुआ। 
कल फलक अपना रहेगा, यह तय है, 
संघर्ष की भट्टी में तपा हूँ, अच्छा हुआ। 
हैं बहुत बेहतर अनेकों से, यहाँ तक आये, 
हार कर भी सराहे गये हैं, अच्छा हुआ। 
हारे हुये को जीता बताया, निर्णायकों ने, 
कुछ चेहरों से नक़ाब उतरा, अच्छा हुआ। 

डॉ अ कीर्ति वर्द्धन

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