चिडिया
चिडिया को देखा है मैने, कैसे रोज नहाती,
अपने बच्चों के संग फिर, दाना चुगने जाती।
चिडिया को देखा है मैने, कैसे रोज नहाती।
जल्दी उठती, मेहनत करती, नही कभी घबराती,
सुबह से लेकर शाम तलक, उडती गाती जाती।
चिडिया को देखा है मैने, कैसे रोज नहाती।
नील गगन में कभी है उडती, कभी जमीं पर आती,
कभी डाल पर किसी बैठकर, मीठा गीत सुनाती।
चिडिया को देखा है मैने, कैसे रोज नहाती।
मेहनत करती तिनके लाकर, सुंदर घर बनाती,
सर्दी गर्मी और वर्षा से, कभी नही घबराती।
चिडिया को देखा है मैने, कैसे रोज नहाती।
उसकी बोली मधुर सुहावन, सबके मन को भाती,
नन्हीं चिडिया घर आँगन में, सुबह सवेरे आती।
चिडिया को देखा है मैने, कैसे रोज नहाती।
डॉ अ कीर्तिवर्धन
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