Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
Administrator

नकारात्मक देखोगे तो, सब उल्टा ही दिखेगा

 
नकारात्मक देखोगे तो, सब उल्टा ही दिखेगा,
मर्यादा का पालन करना, राम अकेला दिखेगा।
वचन पिता का कौन निभाये, सभी स्वार्थ में घिरे हुए,
वचनों की मर्यादा सिखलाता, राम अकेला दिखेगा।
सदा समर्पित निज नारी को, सुख दुःख साथ निभाया,
कैसे हो सम्मान नारी का, यह राम अकेला दिखेगा।
ऊँच नीच और जाति धर्म, ज़हर समाज में भरा हुआ,
सबको गले लगाता जग में, राम अकेला दिखेगा।
संस्कार विलुप्त हो रहे धरा से, नहीं बड़ों का मान बचा,
संस्कारों की सीख सिखाता, राम अकेला दिखेगा।

डॉ अनन्त कीर्ति वर्द्धन

Powered by Froala Editor

LEAVE A REPLY
हर उत्सव के अवसर पर उपयुक्त रचनाएँ