Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
Administrator

खुद से शरमा गये

 
देखकर दर्पण में चेहरा, खुद से शरमा गये,
है हया से लाल कितना, सोचकर घबरा गये।
मिल गये राह में अगर, हाल अपना क्या होगा,
ख्याल जो दिल में आया, नजरें झुकाए आ गये।

अ कीर्ति वर्द्धन 




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