Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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पढकर पन्ने किताबों के

 

पढकर पन्ने किताबों के, कुछ ज्ञान मिलता है, 

श्रद्धा हो अगर मन में, सारा जहान मिलता है। 
सानिध्य हो गर गुरू का, कृपा हो श्री राम की, 
अज्ञानी को ज्ञानी सा, यहाँ सम्मान मिलता है। 

है बहुत मुश्किल यहाँ, सच्चे गुरू का मिलना, 
बबूल वृक्ष पर मुश्किल, गुलाब का खिलना। 
ढोंगी पाखंडियों का बोलबाला अब जगत में, 
सद्‌गुरु पाना है यानि पानी से छाछ निकलना। 

 अ कीर्ति वर्द्धन

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