अल्हड़ मस्ती उन्माद छा गया
अपना बचपन याद आ गया।
वही सरसों की पीली क्यारी
टेढ़ी मेडे़, टूटी आड़ी
चैपालो पर हँसी-ठहक्का
खेले बच्चे गुल्ली-डंडा
पीपल बरगद ताल आ गया
अपना बचपन याद आ गया।
वही औरतों का जमघट पनघट
षिकवा षिकायत प्यार-मोहब्बत
चैती कजरी झूमर सोहर
होली ईद दीवाली के संग
हँसी-छेड़ दुलार आ गया
अपना बचपन याद आ गया।
वही चैधराईन की एक बगिया
जिसमें मिलते सामा चकिया
चोरी छिपे अमराई में
मिलकर खाते फल सब सखिया
ईमली अँवरा स्वाद आ गया
अपना बचपन याद आ गया।
वही काका की टूटी खटिया
हुक्का-चिलम थारी लुटिया
किस्से कहानी सलाह मषविरा
हिंदू मुस्लिम भाई की एकता
रिष्तों की मुस्कान आ गया
अपना बचपन याद आ गया।
जी करता फिर दोहराऊँ मैं
आजादी के दिन वो सुन्दर
सुख दुख के जो पल हैं गुजरे
उनके लिखूँ मैं गीत मनोरम
जगी चेतना, विचार आ गया
अपना बचपन याद आ गया।।
डाँ आरती कुमारी
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