Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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वर्किंग वूमन

 

 

भोर होते ही
झाड़ू हाथ में आता है
न्यूज पेपर का सवाल और बेड-टी का
ख्याल आता है
फिर सुबह का नाश्ता
घर की सफाई
बच्चे का लंच बांक्स
कपड़े की धुलाई
तैयार होकर फिर दफ्तर भागो
जल्दी से सारी फाईले निपटाओं
स्कूल मे जाओ टीचर से मिलो
बच्चों की प्रगति की समीक्षा करो
नेट पर जाओ, कम्पीटिशन दिलाओं
उनका आॅल राउंड डेवेलपमेन्ट कराओं
फिर शाम को बाजार भागो दौड़ो
घर का सामान जोड़ो, मोलो
वक्त मिले तो बिल भी चुकाओं
बीमार हो कोई तो खुद ही दिखाओं
सास-ससुर की बहू बनो प्यारी
बनो मोहल्ले की हेल्पिंग भाभी
घर आकर फिर जुटो चैके में
बचे कामों को करो मिनटो में
फिर सुबह के कामों की कर तैयारी
बिस्तर पे जाओ लो साँसें दो चारी
जीवन का तो चक्र निराला
चैबीस घंटे भी कम पड़े बेचारा
जिंदगी का तो नाम है चलना
क्योंकि आज के इस भागदौड़ वाली जिन्दगी में
मना है थकना!!

 

 

 

डाँ आरती कुमारी

 

 

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